Friday, March 9, 2018

लोगों की सुनोगे तो असफल ही रहोगे



                लोगों कि सुनोगे तो सफलता कैसे पाओगे?

दोस्तो ये मेरे जीवन से जुड़ी हुई बात है। वैसे मैं ज्यादा सफर करना पसंद नहीं करता हूँ मगर बहुत से कामों को पूरा करने के लिए मुझे सफर करना पड़ता है। तो इसी सफर में मुझे एक ऐसी बात सीखने को मिली जो हमें आगे बढ़ने से रोकती है।
          तो बात यह है कि जब मुझे ऐसे ही काम से घर से 100 किलो मीटर दूर जाना पड़ा।काम केवल एक दिन का था मगर इसी एक दिन ने मुझे अपनी जिंदगी की बहुत बड़ी सीख दे दी।शाम का समय था शायद 4 बज रहे होंगे,मैं अपने घर की ओर निकल पड़ा था। बस नही मिल पाने के कारण मुझे एक कार में आना पड़ा।कार बड़ी थी इसलिए उसमें कुछ चार से छः लोग बैठे थे सभी की उम्र तकरीबन 30 से ऊपर की थी। अभी चले हुए आधा घंटा भी नहीं हुआ होगा कि  हमें एक जाम में फसना पड़ा। दो -तीन मिनट बाद जब एक दो गाड़िया सामने से हटी तब जाकर पता चला कि जाम एक बस के कारण लगा था।वहाँ पर सड़क ज्यादा चौड़ी नहीं थी।मेरे साथ कार में बैठे सभी लोग देख सकते थे कि एक ट्रैफिक पुलिस वाला उस बस को निकालने के लिए इशारे कर रहा था।हमारी कार उस जगह से करीब 20 मीटर दूर रही होगी।इस जाम से परेशान होकर कार के अंदर सभी लोग बातें करने लगे।एक महिला जो आगे की सीट पर बैठी थी कहने लगी - "ये पुलिस वाला भी बड़ा अजीब आदमी है,इतनी  पतली  रोड से दो गाड़ी एक साथ कैसे गुजर सकती है? वो भी जब एक बस हो"। महिला की बात खत्म होने के साथ ही एक अंकल भी बोल पड़े-"इसे ऐसा करना चाहिए था कि पहले बस को रोककर छोटी गाड़ी को जाने देता बस अपने आप ही निकल जाती "।इतना सुनकर एक बुजुर्ग आदमी भी अपने धैर्य को नहीं संभाल सके उन्होंने भी जोड़ दिया -"लगता है नया-नया भर्ती हुआ है नहीं तो पुराने लोग तो चुटकियों में जाम हटवा देते।" मेरी आँखें उस पुलिस वाले पर थी और कान उन लोगो की बातों पर।ये बातें चल ही रही थी तभी सभी लोगो की बातें अचानक बंद हो गयी।मैंने सामने देखा तो बस वहाँ से निकल चुकी थी,जाम भी हट चुका था।सारी गाड़ियां पहले की तरह चलने लगी।हमारी कार भी अपने गंतव्य की ओर बढ़ने लगी।पर मेरे दिमाग में अब भी वही घटना घूम रही थी।मैं सोचने लगा कि वे लोग जो मेरी गाड़ी में बैठे थे उन्होंने उस पुलिस वाले के उस कार्य को न कर पाने के बारे में कितनी सारी बातें कही।लेकिन फिर भी उसने अपना कार्य सफलता पूर्वक कर लिया।मगर उन लोगो के कहने का तो अर्थ यही था कि वह उस कार्य को नही कर पायेगा।लेकिन उसने ये कैसे कर दिया? थोड़ा सोचने पर मुझे जवाब मिल गया।वह ये था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग आपको योग्य समझते है कि नहीं,बल्कि इससे बहुत फर्क पड़ता है कि आप अपने बारे में क्या सोचते है,अपनी क्षमताओं के बारे में क्या सोचते है।
         अच्छा हुआ कि उस तरफ से पुलिस ने उन लोगो की बातें नहीं सुनी जो मेरे साथ कार में बैठे थे नहीं तो मैं अभी भी वहीं जाम में फ़सा होता।
         तो दोस्तो अगर जिंदगी में सफलता चाहते हो तो खुद की क्षमताओं पर विश्वास करो,अपनी जिंदगी के कार्य खुद पर विश्वास कर कर करो और आस-पास के लोगो की नकारात्मक विचारधारा से दूर रहो।

No comments:

Post a Comment

बुरे वक्त में क्या करें?

                   एक बार की बात है एक राजा था। वो विनम्र स्वभाव का था। लोगों की सेवा करना वो अपना धर्म समझता था। एक बार उस राजा के पास एक ...