साहसी बनो! तभी जिंदगी में कुछ मुकाम हासिल हो पाएगा
गर्मियों की छुट्टियां थी। हर साल करन कहीं ना कहीं घूमने जाया करता था। इस बार करन और उसके दोस्तों ने पहाड़ी इलाके में पर्वतारोहण ( mountaineering) करने का निश्चय किया।
जिसके लिए गाइड उन्हें एक फेमस माउंटेनियरिंग स्पॉट पर ले गया. करन और उसके दोस्तों ने सोचा नहीं था कि यहाँ इतनी भीड़ होगी. हर तरफ लोग ही लोग नज़र आ रहे थे।
एक दोस्त बोला, ” यार यहाँ तो शहर जैसी भीड़ है…यहाँ चढ़ाई करने में क्या मजा?”
“क्या कर सकते हैं… अब आ ही गए हैं तो अफ़सोस करने से क्या फायदा…चलो इसी का मजा उठाते हैं…”, करन ने जवाब दिया.
सभी दोस्त पर्वतारोहण करने लगे और कुछ ही समय में पहाड़ी की चोटी पर पहुँच गए।
वहां पर पहले से ही लोगों का तांता लगा हुआ था।दोस्तों ने सोचा चलो अब इसी भीड़ में दो-चार घंटे कैम्पिंग करते हैं।और फिर वापस चलते हैं।तभी करन ने सामने की एक चोटी की तरफ इशारा करते हुए कहा, “रुको-रुको… ज़रा उस चोटी की तरफ भी तो देखो।वहां तो बस मुट्ठी भर लोग ही दिख रहे हैं। कितना मजा आ रहा होगा… क्यों न हम वहां चलें।”
“वहां!”, एक दोस्त बोला, “अरे वहां जाना सबके बस की बात नहीं है।उस पहाड़ी के बारे में मैंने सुना है, वहां का रास्ता बड़ा मुश्किल है और कुछ लकी लोग ही वहां तक पहुँच पाते हैं.”
बगल में खड़े कुछ लोगों ने भी करन का मजाक उड़ाते हुए कहा,” भाई अगर वहां जाना इतना ही आसान होता तो हम सब यहाँ झक नहीं मार रहे होते!”
लेकिन करन ने किसी की बात नहीं सुनी और अकेला ही चोटी की तरफ बढ़ चला।और तीन घंटे बाद वह उस पहाड़ी के शिखर पर था।वहां पहुँचने पर पहले से मौजूद लोगों ने उसका स्वागत किया और उसे प्रोत्साहित किया।
करन भी वहां पहुँच कर बहुत खुश था।अब वह शांति से प्रकृति की ख़ूबसूरती का आनंद ले सकता था।
जाते-जाते करन ने बाकी लोगों से पूछा ”एक बात बताइये… यहाँ पहुंचना इतना मुश्किल तो नहीं था।मेरे ख़याल से तो जो उस भीड़-भाड़ वाली चोटी तक पहुँच सकता है।वह अगर थोड़ी सी और मेहनत करे तो इस चोटी को भी छू सकता है।फिर ऐसा क्यों है कि वहां सैकड़ों लोगों की भीड़ है और यहाँ बस मुट्ठी भर लोग?”
वहां मौजूद एक प्रशिक्षक माउंटेनियर बोला, “क्योंकि ज्यादातर लोग बस उसी में खुश हो जाते हैं जो उन्हें आसानी से मिल जाता।वे सोचते ही नहीं कि उनके अन्दर इससे कहीं ज्यादा पाने का सामर्थ्य (Potential) है।और जो थोड़ा पाकर खुश नहीं भी होते वे कुछ अधिक पाने के लिए रिस्क नहीं उठाना चाहते। वे डरते हैं कि कहीं ज्यादा के चक्कर में जो हाथ में है वो भी ना चला जाए। जबकि हकीकत ये है कि अगली चोटी या अगली मंजिल पाने के लिए बस जरा से और प्रयास की ज़रुरत पड़ती है। पर साहस ना दिखा पाने के कारण अधिकतर लोग पूरी लाइफ बस भीड़ का हिस्सा ही बन कर रह जाते हैं।और साहस दिखाने वाली उन मुट्ठी भर लोगों को लकी बता कर खुद को तसल्ली देते रहते हैं.”
इसी प्रकार हम भी अपने आप को इसी भीड़ में छुपाये अपने को सुरक्षित महसूस करते है।और अपनी क्षमताओं का पूरा-पूरा उपयोग ना करते हुए जो मिला है उसी में संतुष्ट हो जाते है।और जब समय गुजर जाता है तो किस्मत तो दोष देकर खुद को झूठी सांत्वना दे कर बाकी बचा जीवन भी गुजार देते है।
तो दोस्तो भीड़ का हिस्सा मत बनिये ...साहस दिखाईये और आगे बढ़िए।
आप सभी को मेरी ओर से बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
धन्यवाद।।
धन्यवाद।।
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