Monday, October 1, 2018

दुनिया का एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास कोई समस्या नहीं है।





दुनिया का एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास कोई समस्या नहीं है।



                  एक बार की बात है। दुर्गम पहाड़ियों में एक महान पंडित रहते थे। वे इतने महान थे कि लोग अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त करने उनके पास आया करते थे। उनकी प्रसद्धि इतनी थी कि दुर्गम पहाड़ियों पर रहने के बावजूद भी लोग उन्हें ढूंढते हुए उन कठिन रास्तों, दुर्गम पहाड़ियों और गहन जंगल से भरे हुए रास्तो को पार करके भी उनके घर पर  पहुँच जाते थे। लोगो का मानना था कि वे उनकी कठिन से कठिन समस्या का समाधान दे सकते है।

                  उनके पास एक दिन में इतने लोग आते थे कि उन्हें अपने लिए समय नहीं मिल पाता था। अब वो लोगों के बीच रहकर थक चुके थे। और अब वे भगवान की भक्ति में समय व्यतीत करते हुए सादा जीवन व्यतीत करना चाहते थे। इसीलिए वे अब हिमालय जाकर रहने लगे।

                  उन्हें लगा कि लोग इतनी मुश्किल जगह तो नहीं आएंगे। पर उनकी प्रसिद्धि के कारण इस बार भी कुछ लोग ढूंढते हुए उसकी कुटिया तक आ पहुंचे। पंडित जी ने उन्हें दो-तीन दिन इंतज़ार करने के लिए कहा ।

                 तीन दिन बीत गए , अब और भी कई लोग वहां पहुँच गए। जब लोगों के लिए जगह कम पड़ने लगी तब पंडित जी बोले , "आज मैं आप सभी के प्रश्नो का उत्तर दूंगा। पर आपको वचन देना होगा कि यहाँ से जाने के बाद आप किसी और को इस स्थान के बारे में नहीं बताएँगे । ताकि आज के बाद मैं एकांत में रह कर अपनी साधना कर सकूँ। चलिए अपनी-अपनी समस्याएं बताइये।"



                   यह सुनते ही किसी ने अपनी परेशानी बतानी शुरू की।लेकिन वह अभी कुछ शब्द ही बोल पाया था कि बीच में किसी और ने अपनी बात कहनी शुरू कर दी। सभी जानते थे कि आज के बाद उन्हें कभी पंडित जी से बात करने का मौका नहीं मिलेगा।इसलिए वे सब जल्दी से जल्दी अपनी बात रखना चाहते थे ।कुछ ही देर में वहां का दृश्य मछली-बाज़ार जैसा हो गया और अंततः पंडित जी को चीख कर बोलना पड़ा , "कृपया शांत हो जाइये। अपनी-अपनी समस्या एक पर्चे पर लिखकर मुझे दीजिये।“


                 सभी ने अपनी-अपनी समस्याएं लिखकर आगे बढ़ा दी। पंडित जी ने सारे पर्चे लिए और उन्हें एक टोकरी में डाल कर मिला दिया और बोले , ” इस टोकरी को एक-दूसरे को पास कीजिये।  हर व्यक्ति एक पर्ची उठाएगा और उसे पढ़ेगा। उसके बाद उसे निर्णय लेना होगा कि क्या वो अपनी समस्या को इस समस्या से बदलना चाहता है ?”



               हर व्यक्ति एक पर्चा उठाता। उसे पढ़ता और सहम सा जाता। एक-एक कर के सभी ने पर्चियां देख ली। पर कोई भी अपनी समस्या के बदले किसी और की समस्या लेने को तैयार नहीं हुआ। सबका यही सोचना था कि उनकी अपनी समस्या चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो बाकी लोगों की समस्या जितनी गंभीर नहीं है। दो घंटे बाद सभी अपनी-अपनी पर्ची हाथ में लिए लौटने लगे। वे खुश थे कि उनकी समस्या उतनी बड़ी भी नहीं है जितना कि वे सोचते थे।


                 Friends, हम सभी अनेक समस्याओं से ग्रस्त है। लेकिन हमें अपनी समस्या इतनी बड़ी लगती है कि हमें लगता है कि सामने वाला सुखी है। लेकिन वो भी अपनी समस्या से उतना ही परेशान होता है जितना कि हम। वो हिंदी में एक कहावत है - "दुसरों के खेत की फसल हमेशा हरी भरी लगती है।" इंसान भी दैनिक जीवन की इसी कहावत की तरह सोचता है। उसे लगता है कि वो ही दुखी है लेकिन वास्तव में उसकी समस्या बहुत ही छोटी होती है। अगर हमारे सामने ये सृष्टि कोई समस्या लाती है तो वो उससे निपटने की शक्ति भी हमें प्रदान करती है। इसीलिए हमें अपनी समस्या को एक तरह की चुनौती मानकर उससे निपटना चाहिए।


आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए मेरी ओर से शुभकामनाएं।
धन्यवाद।

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