Thursday, October 4, 2018

सही रास्ता (The Right Path)


सही रास्ता 


                   एक बार एक छोटा सा गांव था। गांव चारों तरफ से घने जंगल से घिरा था। गांव में कालू नामक एक गधा रहता था। उसका गांव में किसी से ज्यादा मेल-जोल नहीं था। ना उससे कोई मिलने आता था और न ही वह किसी और से मिलने जाता था। क्योंकि वो ज्यादातर समय अकेले बिताता था इसीलिए उसके मन में नए-नए विचार आते रहते थे।

                 एक बार गधे ने सोचा क्यों ना इस घने जंगल के उस पार जाकर देखा जाए कि आखिर उस तरफ है क्या?


                 अगले दिन वो सुबह-सुबह जंगल की ओर चल दिया। जंगल बहुत घना था और गधा मूर्ख। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो जहाँ मन करता वहां की ओर चलता जाता था। जैसे-तैसे कुछ दिनों बाद उसने वो जंगल पार कर लिया और दूसरी ओर  स्थित एक और गाँव पहुँच गया।



                  वहाँ गाँव में खूब हल्ला होने लग गया कि कालू गधा गाँव छोड़ कर चला गया है।सब बात करने लगे कि वो कितना भाग्यशाली है, और अब कितनी आराम की ज़िन्दगी जी रहा होगा। लोगों की बात सुनकर कुत्तों  के एक झुण्ड ने भी जंगल पार करने का निश्चय किया।



                  अगली सुबह वह गधे की गंध का पीछा करते हुए उसी रास्ते से जंगल के उस पार चले गए।


                 और धीरे-धीरे गाँव के अन्य पशुओं में भी जंगल पार करने की होड़ सी लग गयी और सभी उस गधे द्वारा खोजे गए रास्ते पर चलते हुए जंगल पार करने लगे।


                  उस रास्ते पर बार-बार इतने जानवरो के चलने के कारण एक रास्ता सा बन गया। समय बीतता गया और कुछ सालों बाद गांव के लोग भी उसी रास्ते पर चलकर जंगल पार करने लगे। कुछ सालों बाद गाँव की आबादी भी काफी बढ़ गयी। तब सरकार ने जंगल पार करने के लिए एक रोड बनाने का फैसला किया।


                 सरकार ने इस कार्य के लिए  इंजीनियरों का एक दल नियुक्त किया।वो दल गांव आ कर इलाके की स्टडी करने लगा।

                गांव वालों ने उन्हें कहा कि जंगल को पार करने के लिए एक रास्ता पहले से ही बना हुआ है। उसी पर अगर रोड बना दी जाए तो अच्छा रहेगा।

                   उनकी बात सुनकर चीफ इंजीनियर थोडा मुस्कुराया और बोला, “क्या मैं जान सकता हूँ ये रास्ता किसने बनाया ?”


                    गाँव के एक बुजुर्ग बोले, “जहाँ तक मुझे पता है ये रास्ता किसी गधे ने खोजा था!”, और उसने पूरी कहानी सुनाई ।


                   उनकी बात सुनने के बाद चीफ इंजीनियर बोले,  “मुझे यकीन नहीं होता कि आप सब इंसान होते हुए भी इतने सालों से एक गधे के बनाये रास्ते पर चल रहे थे। पता है ये रास्ता कितना कठिन और लम्बा है जबकि हमने जो रास्ता खोजा है वो इसका एक चौथाई भी नहीं है और उसे पार करना भी कहीं आसान है। ”



                  इतने समय बाद आज गाँव वालों को अपनी गलती का एहसास हो रहा था। वे सोच रहे थे कि काश उन्होंने एक नया रास्ता खोजने का प्रयास किया होता तो वो इतने सालों से इतने लंबे और कठिन रास्ते पर नहीं चल रहे होते।


                 हमारी जिंदगी के बहुत से कार्य हम भी इन गांव वालों की तरह ही करते है। जो कुछ पहले लंबे समय से हो रहा होता है। उसी पर आंख बंद कर के विश्वास कर के उसी का अनुसरण करते जाते है। उस पर इतना विश्वास होता है हमें, कि वो सही है या गलत इसका भी हम अंदाज़ नहीं लगाते और उसी में इतना लीन रहते है कि कुछ नया खोजने और नया करने की अपनी असीम शक्ति का प्रयोग नहीं करते और अपना जीवन व्यर्थ गांव देते है।
हमें अपनी गलती का एहसास वास्तव में तब होता है जब कोई व्यक्ति हमसे उसका कारण पूछता है। तब हम उस बात की गहराई में जाते है। और उसकी सच्चाई हमें तब पता लगती है। ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए हमे अपना विवेक जागृत करना होगा। हमें अपने अंदर के दृष्टिकोण को जगाना होगा। तभी हम सही-गलत का फैसला कर पाएंगे। और साथ ही हमें जीवन में स्वयं का अच्छा मार्गदर्शन भी प्राप्त हो पाएगा।



आपको आपके बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
धन्यवाद।

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